शनिवार, 23 जनवरी 2010

गाँधी जी के नाम एक पत्र।


आदरणीय बापू जी ,
सादर प्रणाम
नाथूराम गोडसे की गोली से मिली शहादत के बाद से आज तक स्वर्गलोक में आप भारत की विकास यात्रा देख रहे होंगे तथा तड़प रहे होंगे। अफ़सोस के साथ कहेना पड़ रहा है की हम वैसे नहीं रहे, जैसा आपने हमारे लिए सोचा था। इसी बात को ध्यान में रखकर में ये पत्र प्रेषित कर रहा हु। ताकि आप भी आपके इन तथाकथित अनुयायियो द्वारा किये जाने वाले कुकृत्यों को जान सको।

हम आजकल अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस मानते है लेकिन आपके समय जो पानी भारतीयो में था वो अब नहीं रहा और जो पानी माँ की इस कोख में था वो हमने सोख लिया , इसीलिए आजकल हमें पानी के लिए भी लड़ना पड़ता है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं अब जमाना तेल का है अब हम धरती से तेल निकाल रहे है। आप गाय को माता मानते थे और अब हम खुद को गाय के भाग्य विधाता मानते है , गाय की किस्मत हमारे हाथो बूचड़ खाने में लिखी जाती है। लेकिन इस सब के बावजूद आपको हमारी प्रतिभा का कायल होना पड़ेगा क्यों की इतनी गायो के काटने और पशुधन के मारने के बावजूद हमारी दुग्धशालाये दिन दूना रात चोगुना उत्पादन कर रही है और देश में "श्वेत क्रांति" आई है

हम वनों को काटकर नयी कॉलोनियों का विकास कर रहे है , यदि आपको किसी "आवासिये कालोनी योजना " में मकान लेना हो तो अर्जी लगा देना , हो सकता है मिल जाये

बापू आजकल हम हर जगह नाम कमा रहे है, जिन्दगी भर दाल रोटी खाने के लिए अब रिश्वत भी खुले आम खा रहे है , रक्षा सोदों में दलाली खा रहे है , हमने शहीदों के कफ़न तक बेच डाले , हम चीन से आगे जाने के लिए जनसँख्या बढ़ाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे और तो और हमने एड्स के मामले में भी खूब नाम कमाया आजकल देश में खूब मजे है , वेश्यावृति अब हाई टेक होकर "कॉल-गर्ल शिप" बन गयी अनाज से सस्ती शराब है, शिवालय से ज्यादा मदिरालय है , अब राम-लीला , कृष्ण-लीला का टेंशन ख़त्म पहेले अय्याशी राज-घराने तक सिमित थी , आजकल हमने इसे घर-घर पंहुचा कर लोकप्रिय बनाया आम जनता को मर्डर , बूम , धूम , जिश्म , शीशा , और "बाबूजी जरा धीरे चलो ....." और "भीगे होंठ तेरे..." से अवगत करवाया हजारो साल पहेले द्रोपदी के चीर हरण को बचाने भगवान कृष्ण आये थे , पर अब वो कृष्ण भी लाचार हो गया क्यों की अब हर चोराहे पे इस सीन का फिल्मांकन कर हमने इस घटना का सरलीकरण कर दिया। पर बापू एक बात अच्छी हुई आजकल हमारी अभिनेत्रिया और हाई प्रोफाइल लड़कियों ने गीता पढना शुरू कर दिया और इसका सार इन्होने ये निकाला की- "शरीर मिथ्या है "
हम योग भूल गए तो क्या हुआ अब हम योगा सीख है , गुस्सा मत करना पर , आपकी किस्मत अच्छी नहीं थी क्यों की आपके पास एक घड़ी थी और एक धोती , अभी आप देखो हमारी स्टाइल बदल गयी , गाँव -गाँव और ढाणी-ढाणी का आम आदमी शायनिंग इंडिया का अहसास कर रहा है, भूख से तड़पते, बरसते पानी से भीगते , और रोग से मरते तथा महंगाई को पल पल रोते आदमी को हमने मोबाइल देकर चुप करवा दिया। आप रोटी -कपड़ा- मकान रटते रटते चले गए, आपको क्या मिला?
बापू यु तो आपके अनुयायियो ने आज्ञापालन की मिशाल १९४७ में दे दी थी जब उन्होंने देश का विभाजन स्वीकार किया लेकिन आपकी जन्म-भूमि गुजरात में हुआ शक्ति प्रदर्शन तो आपने स्वर्ग लोक में बेठे देखा होगा, गोधरा में राम-भक्तो को जिन्दा जलाकर पीछे मार-काट का नंगा नाच कर अहिंसा और राम दोनों में अगाध आस्था प्रकट की

आप थोड़े दिन और इन्तजार करिये हमारे नेता एक एक जाति और धर्म को आरक्षण की पवित्र आग में झोंक कर देश के टुकड़े करने का हवन कर रहे है। आगे हमारी योजना देश के हर इलाके में जाति और धर्म आधारित पुलिस , मास्टर , डाक्टर लगाने की है

बापूजी आप भगत को नहीं बचा सके इसका अफ़सोस मत करना , क्यों की हम अफजल को बचाकर इसका हिसाब पूरा कर लेंगे भगतसिंह ने कहा था एक भगत जायेगा हजारो भगत आयेंगे , लेकिन अगर एक अफजल बच गया हजारो अफजल ( वोटर ) भी तो आयेंगे , अब आप ही सोचो हमें ज्यादा जरुरत किसकी है। हमारी नजर में अफजल आंतकवादी होने से पहेले वोटर है क्या हुआ अगर नाराज शहीदों के परिजनों ने पदक वापिस लोटा दिए , हम इनका उपयोग और कही कर लेंगे। आज स्वर्ग में बैठे भगत-चन्द्रसेखर-अशफाक आपस में कहे रहे होंगे "किन सालो के लिए मर गए यार " मगर वो कहे हमें क्या फर्क पड़ता है।

मैंने जहा तक सुना है आप सेलुलर जेल कभी नहीं गए आप कभी सत्य से नहीं डिगे और सत्य के चक्कर में वो काम नहीं कर पाए जो मणिशंकर अय्यर ने कर दिखाया, सेलुलर जेल स्मारक से वीर विनायक दामोदर सावरकर का नाम हटाकर आपका नाम लिखवा दिया , सावरकर जी भी क्या याद करेंगे सावरकर ने अपनी पूरी जवानी कोल्हू का बेल बनकर काला-पानी में बिता दी , शायद इसलिए की अय्यर जैसे भारतीय के पास भी ये शक्ति हो की वो जब चाहे कुछ भी करे

आप राजनीति और अपराध को अलग करने की बात मत करना , ये बाते सुनने और करने में अची लगती है। सत्येन्द्र दुबे और क्ष्न्मुगम , कोड़ा और भी जाने कितने नाम, की ईमानदारी बच्चो हाल पूरा भारत जनता है। भारतीय न्याय के इतिहास में सबसे अच्छा दिन जो मेरी नजर में सबसे बुरा दिन रहा इस दिन एक केंद्रीय मंत्री शिबू सोरेन को जेल हो गयी , खेर अब चिंता की कोई बात नहीं अब सोरेन जी रिहा हो गए है और झारखण्ड के मुख्यमंत्री भी बन गए है , मुझे उस कोर्ट पर अफ़सोस है जिसने झूठा न्याय किया और गुरूजी को मानहानि झेलनी पड़ी।
खेर बापू आजकल आप बच्चो की नजर में वो हीरो बन गए जिसने जाह्नवी को पटाने में मुन्नाभाई की मदद की, एक बात और बतानी थी आजकल हमारे देश में थार एक्सप्रेस और समझोता एक्सप्रेस से कई आंतकवादी महेमान रहे है जिनकी सांगत से आपके ये तथाकथित अनुयायी और खतरनाक हो रहे है बापू इन्हें आप सत्याग्रह का सत्य मत बताना फिजूल में टाइम ख़राब करोगे , बापू मुझे लगता है अच्छे पैसे मिलते ही ये भारत बेच देंगे क्यों की इन्होने अपना जमीर बेच डाला अब इनके पास बेचने को कुछ बचा नहीं है

बापू आप अपने राम राज्य को बचाने के लिए जाओ , मगर इस बार मोर्डेन बनकर आना धोती और लंगोट नहीं चलेगी , और हां बुलेटप्रुफ जेकेट पहेनना मत भूलना , लगा सको तो हेलमेट भी लगाकर आना क्यों की अब भरोसा नहीं की कोई नाथूराम कब बन जाये देश का हाल चाल बताता ये बताना तो भूल ही गया की दिन बाद देश लाल किले की प्राचीर में अभेद सुरक्षा कवच के बीच ६१वा गणतंत्र दिवस मना रहा होगा उसकी अग्रिम बधाईया
सच बापू लोकतंत्र से विश्वास उठने लगा है ये भीड़ तंत्र बन गया है बापू दम घुटता है वोट राजनीति को देखकर पग-पग पर रिश्वत ली जाती है , सच कहू बापू "भारतीय" अल्पसंख्यक हो गए, कही भी आवेदन से पहेले हमसे जाति और धर्म पुछा जाता है , गरीबी और अमीरी के बीच खायी और भी बढ़ गयी है, क्या क्या लिखू ऐसे तो पत्र ख़त्म ही नहीं होगा .

अंत में एक ही विनती बापू - "हमें श्राप मत देना ...."

आपका
भारतवंशी